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Monday, June 24, 2013

"जीवन वहाँ अधिक सुविधाजनक है, जीवन यहाँ और अधिक पूरा हो गया है". इस पंक्ति से किताब का शीर्षक लिया गया है।

केतन की  पहली उपन्यास Complete/Convenient हर उस विदेश में बसे व्यक्ति की  कहानी पर आधारित  है। जिसने  नाही अपना देश पीछे छोड़ आया है अपितु अपने परिवार, कुछ दोस्तों, भावनाओं, स्वतंत्रता को भी पीछे छोड़ आया उसपर भी आधारित है।

पर क्या वह व्यक्ति उस व्यक्ति की ज़िन्दगी कभी विदेश में पूरी होती है?

Conplete/Convenient book's cover
Source : Ketan Bhagat's website
लेखक के बारे में 

लेखक  [ केतन भगत ] के बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।

समीक्षा 
Ketan Bhagat
Image Source : Ketan Bhagat's Website

४००  [ 400 ] पृष्ठ, एक बड़ी संख्या है!  इतनी  ज्यादा पृष्ठों वाली किताब  मैंने पहली दफा पढ़ी है :-) भले ही इस किताब में ४००  पृष्ठ हो पर पहले ५० [50] पृष्ठ पढने पर आपको यह महसूस होगा की किताब कितनी  विस्तृत रूप से लिखा गया है। किताब को अच्छी तरह से और आराम से लिखा गया है। किताब की कवर डिज़ाइन बहुत ही मनमोहक है और कहीं न कहीं किताब की कहानी पर पूरी तरह खरी उतरती है. 

कहानी 

कहानी के नायक कबीर और मायरा हैं। दोनों भारत में रहतें हैं और दोनों की ज़िन्दगी काफी अच्छी चल रही थी। एक दिन अचानक एक अवसर उनके दरवाज़े पर दस्तक देती है। कबीर उस अवसर को  खोना नहीं चाहता  है और वो शादी करने के बाद उड़ान भरतें है अपने सपने विदेशी जीवन की ओर।

केतन उनके यात्रा को एक सरल और उत्तेजक रूप में दर्शातें हैं।

किताब पूरी तरह से अनिवासी भारतियों को किसी उच्च रौशनी में रखती है न किसी भी शिकार का रूप में रखती है। इस किताब में केतन ने निश्चित रूप से अपने N.R.I. अनुभव को शब्दों में उलेखित किया है। इस किताब में पंजाबी शादी और सारा आकर्षण सिडनी की दुखद बात करने के लिए जोड़ा गया है।

किताब तीन अध्यायों में विभाजित किया गया है। पहले मुंबई से दिल्ली और फिर दिल्ली से  सिडनी, वहां रहना और सिडनी से वापस भारत आना।  

आप इस उपन्यास को जरुर क्यूँ पढ़े?

यह पुस्तक वास्तव में हर किसी के लिए है, एक अहंकारी, एक अहंवादी, एक परोपकार के सिद्धन्त, एक अंतर्मुखी, बहिर्मुखी, एक उभयवर्ती, एक मनुष्यद्रोही, एक नारी द्वेषी, एक विवाह - द्वेषी और एक तपस्वी। यह किताब हर उस व्यक्ति के लिए है जो कभी विदेश में बसने और सोचता है की उसकी ज़िन्दगी बदल जाएगी। तो यह किताब आपकी इस धारणा को बदल देगी।

इस किताब अन्य देशों में बसे हुए हैं जो उन अनिवासी भारतीयों के लिए एक आंख खोलने वाली हो सकती है जो अपने देश वापस आने के लिए अपने निर्णय में देरी कर रहे है।

मेरे कुछ सोच 

भले ही केतन खुद इंकार करें पर यह किताब एक आत्मकथा की तरह है। लेखक पाठकों को अपने जीवन के अलग अलग चरणों में ले जातें हैं, जैसे की, उनकी भावनाओं और सब कुछ करने के लिए अपनेपन की भावना। 

यह भी एक अनोखी बात है। आप प्रथम पृष्ठ में लेखक का परिचय पढ़ें फिर कहानी पढ़ें। आप पात्रों और घटनाओ को लेखक के साथ सम्बंधित कर सकेंगे।

केतन की यह पहली किताब है। पहले ही किताब में उन्होंने शब्दों के ऊपर अपनी महारत को दर्शा दिया है । वो शब्दों को कितनी चंचलता के साथ दर्शा सकतें हैं इसकी कल्पना भी नहीं किया जा सकता। उनका लेखन काफी  सभ्य और बहुत खूब है।

कुल मिलके किताब दिलकश है और आप एक बार इसे जरुर पढ़ें। केतन ने इस किताब को लिखने में एक शानदार काम किया है।

दुबारा कहूँगा अगर आप विदेश जाने की सपने देखते हैं या जाने वालें हैं तो एक बार यह किताब जरुर पढ़ें।

अपनी टिप्पड़ी इस समीक्षा या किताब के बारे में जरुर दें।

धन्यवाद।। :)
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