RSS
Facebook
Twitter

Friday, July 19, 2013

मैं  भले ही यह पोस्ट बहुत देर में लिख रहा हूँ पर राजीव रंजन  की कथन (narration) करने  की अदा सब में नहीं।
 
क्या बनाता है राजीव रंजन को अलग

राजीव  रंजन 
राजीव कोई परिचय का मोहताज नहीं। राजीव रंजन की किताब शायद आपने पढ़ी होगी - Love @ Internet   एवं A Splash of Love, A Kiss of Infatuation.

दोनों  मझी हुई प्रेम कहानियां और दोनों का कथन और स्टोरी प्लाट बहुत ही अच्छा - अलग क्या बनाता है राजीव रंजन को इसका जवाब है शायद उनका लेखन शैली। रंजन अपनी किताबों में उम्दा और आसान भाषा को जगह देते हैं। 

रंजन की कहानी कहने की अदा हर लेखक में नहीं होती। जिस तरह वो वाक्यों को कह जाते हैं उसका जवाब नहीं।

रंजन की लेखन शैली कुरकुरी, तेज़ और आसान  है। जो पाठकों को कहानी से जोड़े रखती है।
 

मैंने कहानी को जीना और लिखना राजीव रंजन की  किताबों को पढके सीखा है और मुझे इसपे गर्व है।

A Splash of Love, A Kiss of Infatuation [ समीक्षा ] 

कहानी शुरू होती है अरुणोदय की बचपन से जब वो बच्चा था और अपने गाँव में रहता था। 

एक दुर्भागयापूर्ण दिन उसका भाग्य उसके साथ एक बुरा चाल खेल देता है। उसका चचेरा भाई व सबसे अच्छा दोस्त एक दुर्घटना में मर जाता है। तब उसके माता-पिता उसे जालंधर भेज देते और उसकी ज़िन्दगी  बदल जाती है और वह अकेला नहीं रहता। जल्द ही वो एक छावनी क्षेत्र में अपना घर ले लेता है और वहां  उसके दो दोस्त राजीव और मनीष भी रहते हैं। वह अपने स्नातक स्तर के पढाई के बाद एक आर्मी अधिकारी बनना  चाहता है पर ग्रेड नहीं ला पाता। इसके बाद वह स्नातकोत्तर की पढ़ाई के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय में भर्ती होता है। 

विश्वविद्यालय में उसे संजना नाम की लड़की मिलती है जिससे उसे प्यार हो जाता है। संजना उसके प्यार को स्वीकार कर लेती है।
A Splash of Love by Rajeev Eanjan

अरुणोदय ट्यूशन देना शुरू करता है ताकि वो कुछ पैसे कमा सके और उस बीच वो अंजलि से मिलता है जिसके  पीछे वो चुम्बक की तरह पड़ा रहता है। संजना को निराश न करने के लिए वो अंजलि के बारे में संजना की कभी नहीं बताता। पर अंत में संजना को अंजलि के बारे में पता चल जाता है और वो अरुणोदय को छोड़ देती है।

अरुणोदय अपनी पढाई पूरी कर लेता है और मुंबई चला जाता है नौकरी करने। वहां वो खुद को संजना से किये विशवास घात के लिए खुद को माफ़ नहीं कर पाता। वह मुंबई में एक अकेला और अपराध से लदी जीवन जीता  है.

क्या अरुणोदय खुद को माफ़ करता है या वो संजना को भूल जाता है? क्या संजना उसे माफ़ करती है और उसके पास वापस आ जाती है? क्या वो सभी चीज़ों को पहले से कर पाता है? 

कहानी में कई ट्विस्ट हैं और मोड़ के माध्यम है। कहानी की प्लाट में एक अनूठा और दिलचस्प समाप्ति है।

कहानी के अध्याय छोटे और आसान है जो की हर एक पाठक को आसानी से समझ में आ जाएगी। प्रत्येक अध्याय का एक कुरकुरा पूर्वानुभव प्रस्तावना के साथ शुरू होता है। भाषा सरल लेकिन प्रभावी रूप से मिलनसार है।

किताब के किरदारों को इतनी अच्छी तरीके से प्रस्तुत किया गया है की वो सच में जिंदा किरदारों की भाती पढ़ते वक़्त प्रतीत होते है।

किताब में बातचीत की कमी है पर किताब एक तेज़ और कुरकुरे शैली में आगे बढती है।

इस किताब को मैं ५(5) में ४(4) रेटिंग दूंगा। यह किताब आप जरुर एक बार पढ़े।

अगर आपने यह किताब पहले ही पढ़ा है तो कृपया किताब के बारे में टिप्पड़ी दे।

- धन्यवाद 

Sunday, July 14, 2013

काशी


काशी मेरे नज़रिए से ....

काशी सदियों से हिन्दुओं के लिए एक अंतिम तीर्थ स्थान माना गया है। अक्सर बनारस, वाराणसी के रूप में जाने जाना वाला होता काशी दुनिया का सबसे पुराना  है। हिन्दुओं का मानना है की जीस व्यक्ति को काशी की ज़मीन में मरने का शोभाग्य प्राप्त होता है वो जन्म के चक्र से मुक्ति और स्वतंत्रता प्राप्त करता है।

काशी की उत्पत्ति कैसे हुई यह अभी भी अज्ञात है। काशी में भगवान् शिव और माता पार्वती का वास है। माना जाता है की काशी में गंगा नदी मनुष्यों की पापों को धो देती है। काशी सदियों से शिक्षा का एक बड़ा केंद्र रहा है।

काशी अध्यात्मवाद, रहस्यवाद, संस्कृत, योग और हिन्दी भाषा को सदियों से  प्रोत्साहन दे रहा है। काशी में कभी प्रसिद्ध उपन्यासकार प्रेमचंद और प्रसिद्ध संत और कवी  तुलसी दास, जिन्होंने राम चरित मानस की रचना कि।

वाराणसी या काशी को सांस्कृतिक राजधानी के रूप में बुलाया गया। काशी ने सभी प्रकार के सांस्कृतिक गतिविधयों को मंच प्रदान किया। नृत्य और संगीत के कई कलाकारों वाराणसी से आए हैं. रवि शंकर, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध सितार वादक और उस्ताद बिस्मिल्ला खान (प्रसिद्ध शहनाई वादक) सभी इस  पवित्र धन्य शहर के संतान हैं या अपने जीवन के प्रमुख हिस्सा यहाँ जी चुकें हैं।

काशी एक अमेरिकन के नज़रिए से ....

अभी तक काशी के बारे में आपने मेरे द्वारा या यूँ कहें की  एक भारतीय की नजरों से पढ़ा। अब आप काशी के बारे में एक  नए ढंग से पढेंगे एक अमेरिकन की नजरों से।।

काशी : एक उपन्यास तेरिन मिलर ने लिखी है जिसे Authors Empire Publications प्रकाशित करेगी। किताब २०  (20)  जुलाई को बाज़ार और सभी ऑनलाइन स्टोर में आएगी।


 काशी उपन्यास की कवर
तेरिन की उपन्यास की कहानी आज़ादी की दूसरी पीढ़ी पर आधारित है। कहानी की नायिका है मीठा शर्मा। काशी कहानी है सांस्कृतिक,  रिश्ते प्रयोगों, धार्मिक एवं नैतिक मतभेदों की।

 मीठा शर्मा एक शिक्षित, आकर्षक, सांसारिक और एक मध्य वर्गी आयत निर्यात व्यापारी की बेटी है। मीठा की इच्छा होती है की वो भी अपने अमेरिकी और अन्य प्रवासी मित्रों की तरह बनें। 

वह व्यवहार और अनुरूप के पुरानी विचारों वाली दुनिया और समाज को एक समान रूप में देखना चाहती है। पर उसकी इच्छाओं का अनेक परिणाम होता है, उनमे से एक है उसके और एक पारंपरिक हिन्दू संगीतकार के  विवाह का वादा जिसे जब वह १३ (13) वर्ष की थी तब किया गया था।

काशी हिंदुस्तान की एक ऐसी पीढ़ी की कहानी है जो अपने पहले पीढियों से काफी अलग है।  पीढ़ी जिसने आज़ाद, एक आज़ाद देश में जन्म लिया है। एक ऐसा देश जिसे बहुत प्रयासों और कुर्बानियों के बाद आजादी मिली।

पहले तेरिन की यह किताब स्व प्रकाशित हो चुकी है अमेरिका में From Where The Rivers Come, Kashi नाम से। USA बुक न्यूज़ द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में  बहुसांस्कृतिक फिक्शन की श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ पुस्तक 2010 का ख़िताब जीता। यह किताब Writers Digest2010 में अंतराष्ट्रीय सर्वश्रेष्ठ स्व प्रकाशित किताब का  माननीय उल्लेख मान्यता प्राप्त किया है।  the 2010 Paris Book Festival and Beach Book Festival में फिक्शन की श्रेणी में  एवं the 2009 New York Festival, the London Book Festival and New England Book Festival में ख़िताब जीता।

लेखक के बारे में ....

तेरिन ताशी मिलर ने जीवन के प्रारंभिक वर्ष भारत में बिताए। तेरिन के माता-पिता Anthropologist हैं। अभी तक तेरिन यूरोप और एशिया के कई देशों में रह और काम कर चुकें हैं। 

तेरिन की लेखन वॉल स्ट्रीट जर्नल, डलास मॉर्निंग समाचार और लॉस एंजिल्स टाइम्स सहित गाइड किताबें, समय और Geografica Revista सहित अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में छपी है.
तेरिन मिलर 


तेरिन ने अपने लेखन की शुरुआत एक पार्ट टाइम रिपोर्टर के रूप में की। इसके बाद उन्होंने भारत और उत्तरी डकोटा और स्पेन और न्यूयॉर्क में एपी डाओ जोन्स समाचार सेवा में एसोसिएटेड प्रेस के लिए काम शुरू किया। एवं  The Fort Worth Star-Telegram, The Milwaukee Sentinel, Amarillo Daily News एवं the Hilton Head Island Packet में पत्रकार का कार्य किया।

तेरिन का जन्म सेंट लुइस में हुआ। वह वर्तमान में न्यू जर्सी में रहते हैं।




A Special thanks to Kunal Marathe, Khushi Gupta and Umakant Vashishtha.


Click below to buy the book
BUY THIS BOOK HERE

यह किताब खरीदने के लिए यहाँ क्लिक करें।।

Monday, June 24, 2013

"जीवन वहाँ अधिक सुविधाजनक है, जीवन यहाँ और अधिक पूरा हो गया है". इस पंक्ति से किताब का शीर्षक लिया गया है।

केतन की  पहली उपन्यास Complete/Convenient हर उस विदेश में बसे व्यक्ति की  कहानी पर आधारित  है। जिसने  नाही अपना देश पीछे छोड़ आया है अपितु अपने परिवार, कुछ दोस्तों, भावनाओं, स्वतंत्रता को भी पीछे छोड़ आया उसपर भी आधारित है।

पर क्या वह व्यक्ति उस व्यक्ति की ज़िन्दगी कभी विदेश में पूरी होती है?

Conplete/Convenient book's cover
Source : Ketan Bhagat's website
लेखक के बारे में 

लेखक  [ केतन भगत ] के बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।

समीक्षा 
Ketan Bhagat
Image Source : Ketan Bhagat's Website

४००  [ 400 ] पृष्ठ, एक बड़ी संख्या है!  इतनी  ज्यादा पृष्ठों वाली किताब  मैंने पहली दफा पढ़ी है :-) भले ही इस किताब में ४००  पृष्ठ हो पर पहले ५० [50] पृष्ठ पढने पर आपको यह महसूस होगा की किताब कितनी  विस्तृत रूप से लिखा गया है। किताब को अच्छी तरह से और आराम से लिखा गया है। किताब की कवर डिज़ाइन बहुत ही मनमोहक है और कहीं न कहीं किताब की कहानी पर पूरी तरह खरी उतरती है. 

कहानी 

कहानी के नायक कबीर और मायरा हैं। दोनों भारत में रहतें हैं और दोनों की ज़िन्दगी काफी अच्छी चल रही थी। एक दिन अचानक एक अवसर उनके दरवाज़े पर दस्तक देती है। कबीर उस अवसर को  खोना नहीं चाहता  है और वो शादी करने के बाद उड़ान भरतें है अपने सपने विदेशी जीवन की ओर।

केतन उनके यात्रा को एक सरल और उत्तेजक रूप में दर्शातें हैं।

किताब पूरी तरह से अनिवासी भारतियों को किसी उच्च रौशनी में रखती है न किसी भी शिकार का रूप में रखती है। इस किताब में केतन ने निश्चित रूप से अपने N.R.I. अनुभव को शब्दों में उलेखित किया है। इस किताब में पंजाबी शादी और सारा आकर्षण सिडनी की दुखद बात करने के लिए जोड़ा गया है।

किताब तीन अध्यायों में विभाजित किया गया है। पहले मुंबई से दिल्ली और फिर दिल्ली से  सिडनी, वहां रहना और सिडनी से वापस भारत आना।  

आप इस उपन्यास को जरुर क्यूँ पढ़े?

यह पुस्तक वास्तव में हर किसी के लिए है, एक अहंकारी, एक अहंवादी, एक परोपकार के सिद्धन्त, एक अंतर्मुखी, बहिर्मुखी, एक उभयवर्ती, एक मनुष्यद्रोही, एक नारी द्वेषी, एक विवाह - द्वेषी और एक तपस्वी। यह किताब हर उस व्यक्ति के लिए है जो कभी विदेश में बसने और सोचता है की उसकी ज़िन्दगी बदल जाएगी। तो यह किताब आपकी इस धारणा को बदल देगी।

इस किताब अन्य देशों में बसे हुए हैं जो उन अनिवासी भारतीयों के लिए एक आंख खोलने वाली हो सकती है जो अपने देश वापस आने के लिए अपने निर्णय में देरी कर रहे है।

मेरे कुछ सोच 

भले ही केतन खुद इंकार करें पर यह किताब एक आत्मकथा की तरह है। लेखक पाठकों को अपने जीवन के अलग अलग चरणों में ले जातें हैं, जैसे की, उनकी भावनाओं और सब कुछ करने के लिए अपनेपन की भावना। 

यह भी एक अनोखी बात है। आप प्रथम पृष्ठ में लेखक का परिचय पढ़ें फिर कहानी पढ़ें। आप पात्रों और घटनाओ को लेखक के साथ सम्बंधित कर सकेंगे।

केतन की यह पहली किताब है। पहले ही किताब में उन्होंने शब्दों के ऊपर अपनी महारत को दर्शा दिया है । वो शब्दों को कितनी चंचलता के साथ दर्शा सकतें हैं इसकी कल्पना भी नहीं किया जा सकता। उनका लेखन काफी  सभ्य और बहुत खूब है।

कुल मिलके किताब दिलकश है और आप एक बार इसे जरुर पढ़ें। केतन ने इस किताब को लिखने में एक शानदार काम किया है।

दुबारा कहूँगा अगर आप विदेश जाने की सपने देखते हैं या जाने वालें हैं तो एक बार यह किताब जरुर पढ़ें।

अपनी टिप्पड़ी इस समीक्षा या किताब के बारे में जरुर दें।

धन्यवाद।। :)

Saturday, May 25, 2013

1. First of all, congrats for being published.

>> Thank you! Thank you so much!! :)

2. Tell us something about your book.



>>  “MUTTON SOUP……Because chicks and chicken are so outdated…!!” is  basically
a story of ME and everything that makes ME. It's a blend of emotions, a
saga of love, a bond of friends and a turmoil of generation gap which
present day children share with their parents. I've collectively tried to
portray the youth of our era. It's a true story in which an absolute fancy
and freak, Pratham Devang, falls in love over a consolation phone call with
a hot-shot babe followed by a cosmopolitan intense romance. Book will take
you on a roller coaster ride, where you'll rise, fall, laugh, cry, dance,
flirt and finally fall in love.

3. Any character from the novel, you want to live in the real life?

>> Well, if you ask me that question, then I would say I'm already living
it. It is what I am. Either ways to say, I've put myself in the very first
book, so that my readers (who are soon going to be a vital part of my life)
should be aware of my existence. And at my heavenly surprise, in seek of
peace and solace for my soul, I discovered my real self in the process of
writing this book.

4. From where did you get the inspiration to write the novel?

>> I've always nourished my pen by finding inspiration from various
small-big things, be it my mother's bangles, or my father's tangles. But if
you ask about this book, then it was a heart break in October 2011, and at
the same time, the movie 'Rockstar' was released, which along with one of
its song 'Aur ho aur ho saans ka shor ho' proved to be the greatest
inspirations behind this book. And when we talk about Ideals, then to be
honest, Ideals are mere benchmarks, that you silently desire to achieve. My
ideals have been Mr. Nicholas Sparks and Mr. Imtiaz Ali.

5. Any special incident which took place while writing the book that you want to share?

>> Take challenges, and live them. Give the moments of happiness, and
relive them. Sometimes, life is more beautiful by giving and lowering your
expectations. In order to attain heaven, one doesn't necessarily need to
die and surrender life. Find it in the love that your mother does to you
silently, that you fail to see since you were blind in love. My book
contains a larger portion of it all.

6. How the engineering student Pratham is different from the writer and blogger Pratham?

>> (laughs) A good question. My Mechanical Engineering developed with my
craze and love for motors and machines, and my Writing developed by my
crave for words, alphas, languor. An engineering student during day, and a
writer during night is the attribute that constitutes me. When it comes to
quoting a difference between the two, then I would love to mention,
engineer from me comes out when university forces it (exams) and writer
comes out of me without any kinda force. It's truly I, Me and Myself.

7.  Define Pratham in one line.

>> A freak who'll flip the pages of your life, when he'll enter. (winks)

8. Any suggestion for the budding authors?

>> For all the buds and buddies out there, you are on the verge of getting
a biggest chance to mould hearts by your pen, just pour your heart out
through the ink of your pen. And always remember, your reader will smile
and sob with you, by the power of your pen and pages. Wish you all the luck. :)

INTERVIEW CREDIT : Sanjeet Pathak

PHOTO CREDIT : Pratham Devang


Sunday, April 28, 2013


यह कविता मेरे मित्र संजीत पाठक ने लिखा है। टिप्पड़ी कीजिये कैसा लगा आपको।

कश्ती तब भी चलते थे, कश्ती अब भी चलते हैं,
तब कागज के चलते थे, अब सपनो के चलते हैं।
शिकवे तब भी होते थे, शिकवे अब भी होते हैं,
तब गैरों के होते थे, अब अपनों के होते हैं।

खेल तब भी होते थे, खेल अब भी होते है,
तब चाले थी अपनी, अब मोहरे हमें ही चलते हैं .
कुछ बचपन तब भी थी, कुछ बचपन अब भी है,
तब शरारत में होते थे, अब शराफ़त में होते हैं .

दिन तब भी होते थे, दिन अब भी होते हैं,
तब धूप सुहानी थी, अब छाव भी जलते हैं,
रोते तब भी थे, जब माँ छिप जाती थी,
रोते अब भी है, माँ से हीं छिप-छिप कर।

तब चन्दा मामा था, अब उसपे भी नमी सी है,
तब हर लम्हा अपना था, अब वक़्त की कमी सी है .
तब छुपते से खेल-खेल में, अब ये मजबूरी है,
जो मुट्ठी में थी खुशियाँ, अब उनसे भी दूरी है।

- संजीत पाठक [ https://www.facebook.com/sanjeet.pathak  ]

Tuesday, April 23, 2013

कुछ दिनों पहले मैंने केतन भगत जी को एक ईमेल भेजा था और एक इंटरव्यू के लिए अनुमति माँगा था। उन्होंने ईमेल के उत्तर में अपना मोबाइल नंबर दिया। मेरी बातचीत या यूँ कहें की इंटरव्यू फ़ोन पर हुई। 

इस  इंटरव्यू के प्रायोजक Idiotic Minds है।


Idiotic Minds! is a Social Media Marketing and Digital Advertising Company. Email : iddioticminds@gmail.com

प्र) एक आम आदमी और एक लेखक के रूप में आप अपने को किस तरह परिचय देना चाहेंगे ?

Ketan Bhagat
उ) मैं बहुत ज्यादा आम आदमी हूँ। ज़िन्दगी में बहुत कुछ नहीं कर पाया हूँ पर जो भी किया दिल से, बड़ी ख़ुशी से किया है। मेरे भाई हमेशा से अव्वल आते थे में मुश्किल से पास हो पाता था। शुरू में मैं एक वेटर था। कॉलेज  में कई बार चीटिंग करता पकड़ा गया। धीरे धीरे आगे बढ़ा। मूल रूप से एक जो छोटा बच्चा होता है न घर का बिगड़ा हुआ। कुछ भी चीज़ ज्यादा गंभीरता से नहीं लेता। जिम्मेदारी नहीं समझता वैसा था मैं। लेखक के रूप में बस अभी शुरुआत किया  हूँ। पहली किताब आ रही है बस मुझे लगा यह कहानी लोगों तक लानी चाहिए। मैंने ये कहानी लिखी और इस कहानी में जो समस्या है वो कहीं न कहीं हर कोई महसूस करता है और उसे कोई गाइड नहीं करता। इसलिए मैंने यह कहानी लिखी।


प्र) उपन्यास लिखने की प्रेरणा कहाँ से मिली?

उ) वास्तव में उपन्यास लिखने का ज़िन्दगी में कभी नहीं सोचा था। मैंने कुछ ज़िन्दगी की समस्याओं को महसूस किया और मुझे किसी ने गाइड नहीं किया था। इस गाइड न करने वाली बात से मुझे प्रेरणा मिली की मुझे यह बुक लिखनी चाहिए।



प्र) चेतन भगत आपके भाई एक बहुत बड़े लेखक हैं उनका योगदान या प्रभाव?

उ) लिखने के लिए नहीं वो अलग लिखते हैं मैंने अलग लिखा है। वो अधिकतर कॉलेज लाइफ के बारे में लिखते हैं। लड़का लड़की को प्यार हो जाता है। एक इंसान इंजीनियरिंग  या मेडिकल में जाए। पर मेरी कहानी अलग है। मेरी कहानी में आदमी की शादी हो जाती है मनपसंद लड़की से। नौकरी  लग जाती है। उसको बाहर जाना होता है तो उसको वो भी मिल जाता है। पर उसके बाद क्या? अब क्या? ज़िन्दगी में तो ख़ुशी ही मिलनी चाहिए न इसके बाद? पर नहीं मिलती है। और क्यों नहीं मिलती है? और चेतन भगत से प्रेरणा यह मिली की वो एक जीता जागता उदहारण है उनकी किताबें उनकी पाठकों तक पहुँचती हैं और उन्हें सराहना किया जाता है।



प्र) आपका प्रिय लेखक कौन हैं ?

उ) मेरे कोई प्रिय लेखक लेखक नहीं हैं। मैं कहानी देखता हूँ लेखक नहीं। मेरे ख्याल से कोई भी लेखक हो, अभिनेता हो, गायक हो उसका हर काम अच्छा नहीं होता है। उसका एक काम बहुत अच्छा होता है पर दूसरा इतना गंभीरता भरा नहीं होता। 



प्र) आप शादी शुदा हैं? लव मैरिज या arrange मैरिज है।

उ) हाँ। पूरी तरह से  arrange मैरिज है। मेरी माँ ने धुंडी मेरे लिए लड़की।



प्र) आपके किताब का कोई पात्र आपके दिल के करीब?

उ) सभी पात्र।


प्र) पाठकों को कोई सन्देश?


उ) कृपया मेरी किताब पढ़ें। मैंने बहुत ज्यादा मेहनत  की इस किताब पर और कृपया किताब पढके प्रतिपुष्टि (feedback) दें।


Interview Credit : Additya Bansal [https://www.facebook.com/additya.bansal.9


Wednesday, April 10, 2013

मेरी कविताएँ ...

मेरी कविताएँ ...

आज मैंने अपनी ज़िन्दगी से कुछ पल निकाल कर मैंने अपनी ज़िन्दगी की कुछ लम्हों को कागज़ पर उतारा है। आशा न थी की कुछ ऐसा लिख जाऊंगा ... तो वो लम्हें ये रहे ... 

हालाँकि पहले वाले लेख कविता नहीं कहा जा सकता है। इसे एक शायरी कहना बेहतर होगा ...


 

कुछ अनसुलझें सवालों को, कुछ झिलमिल सी यादों को, आज समेत चल पड़ा हूँ मैं, एक राह पर, एक नयी उम्मीदों पर, मैं चल पड़ा हूँ आज एक नयी ज़िन्दगी की ओर ....

दूसरी लेख में मैंने कोशिश किया है की मैं शब्द अंत्यानुप्रास करूँ तो ये रहा दूसरा .....


मुझे एक अजनबी से कुछ यूँ हुआ था प्यार, दिन थी रात, सिर्फ था तो बस प्यार का खुमार, था तो सिर्फ प्यार का जज़्बात, बस थी प्यार की बातें, थी तो अनकही मुलाकातें, आज वो है, उसकी बात, सिर्फ बची है तो उसकी याद, मुझे एक अजनबी से कुछ यूँ हुआ था प्यार ...

आपको मेरी लिखी हुई कविता कैसी लगी जरुर टिप्पणी कीजिएगा। शुक्रिया ... :-) 

Monday, February 18, 2013

Murdered to Moksha [ मोक्ष के लिए हत्या ] [ परिचय ]

A Novel By Ketki Borgaonkar and Rohit Shettyकेतकी बोर्गओंकर और रोहित शेट्टी के द्वारा एक उपन्यास 


मोक्ष के लिए हत्या, एक हत्या का मामला है और इसके साथ जुड़े लोगों की एक यात्रा है। कहानी शुरू होती है समाचार चैनलों के एक शीर्षक से 'एक खुनी या शिकार'। एक 35 वर्षीय आदमी अपनी पत्नी की मौत एक सिटी हॉस्पिटल में करके और फिर उसी इमारत की छत से कूदने की कोशिश करता है।  एक स्वार्थी, क्रूर कातिल जो एक 10 वर्षीय लड़की की माँ  का हत्या करके और फिर आत्महत्या का प्रयास किया। क्यों?


अदालत के सत्र में उसकी चुप्पी एक नया मोड़ लाता है। उसने अपने बचाव में कुछ भी नहीं कहा न ही एक वकील मुक़दमे पर रखा है। वह बेरहम, एक हत्यारा, एक खूनी, एक पागल, मानसिक रूप से अस्थिर व्यक्ति है पर उसने अपनी पत्नी की हत्या क्यूँ की। जानने  के लिए आपको Murder to Moksha पढना होगा। एक अति रोमांचक उपन्यास जल्द आ रहा है।

यह प्रोमो विडियो देखिये। आपको इस उपन्यास से क्या उम्मीद है कृपया कमेंट करें।  


Murder to Moksha Promo Video
1st पोस्ट 

वो चली गयी  [ समीक्षा ]


वो चली गयी 
वो चली गयी ... एक सच्ची कहानी ... विनीत बंसल की अंग्रेजी किताब I'm Heartless का हिंदी अनुवाद है। कहानी है वीरेन नाम की लड़के की जिसे पूरा विशवास है, की एक दिन उसकी जीवन में एक परी आएगी जो उसके जीवन को जीने लायक बना देगी। कहानी की शुरुआत एक प्यारी सी कविता से होती है।

पहले कुछ अध्याएं एक छात्र की जीवन के उतार - चढ़ाव को बयान करती है। और उसके जीवन के इस चरण के हर पहलू दिल को छू लेती है।

छात्रावास जीवन, दोस्ती, प्यार आदि वीरेन की ज़िन्दगी तब और भी अच्छी हो जाती है जब वह कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में प्रवेश करता  है लेकिन एक दिन उसके मन की शांति एक प्रश्न के द्वारा भंग हो जाती है जब उसका एक दोस्त पुच्छ्ता है  "क्या तुम उसे  करते हो?" और फिर उसका मन और दिल सिर्फ उस लड़की की ओर भटक जाता है। वह आश्वस्त हो जाता  की उसने अपनी परी  'उस लड़की' के रूप में धुंढ ली है। जो की राशी नाम की लड़की है जिसके साथ वो कुच्छ दिन से बात चित कर रहा था।

यह कहा जाता है कि जब प्यार सामने की दरवाजे से दस्तक देती है तब दोस्ती पिच्छे दरवाजे से निकल जाती है। उसी तरह वीरेन मानसी को भूल जाता है, मानसी उसकी सबसे अच्छी दोस्त है, जो पहले से ही उसे चाहती है और वह वीरेन से  प्यार का  करती है। पर वीरेन उसके प्रस्ताव को हर बार खारिज कर देता है पर फिर भी मानसी उसकी देख भाल करती है। पर बाद में उसे यह पता चलता है की राशी उसकी कभी नहीं हो सकती है वह पागल हो जाता है और वह प्यार पर अविश्वास करने वाला बन जाता है।

आगे क्या होता है? क्या राशि उसके ज़िन्दगी  में  वापस आ जाती है? क्या वह मानसी के साथ अपने रिश्ते को गंभीरता से लेना शुरू कर देता है? क्या होता है कि जब उसे पता चलता है कि वह बेरहम है और वह आत्महत्या कर लेता है? इन सब सवालों के लिए आपको किताब पढ़ने की जरूरत है।



तथ्य यह है कि यह विनीत सर की यह पहली पुस्तक है और मुझे लगता है। उन्होंने एक उचित काम किया है। कहानी के प्रारंभिक भाग अच्छा है पर भ्रमित कर देना वाला है क्यूंकि चरित्र बहुत सारे हो जाते हैं। किताब  उत्तरार्ध में  दिलचस्प हो जाता है और पाठक पूरी तरह से पिछले अध्याय के साथ प्यार में पड़ जाता है. वीरेन का प्यार जिस तरह से इस अध्याय में व्यक्त किया गया है यह किताब के बाकी हिस्सों से उसे अलग करता है।

मैं व्यक्तिगत रूप से आत्महत्या हिस्सा पसंद नहीं करता पर मुझे लगता है कि इस तरह की किताबों और फिल्मों का युवाओं के मन में  सोच दाल ददेती है की प्यार में असफल होने पर शराब पीना और आत्महत्या करना ही एकमात्र विकल्प बचते हैं।

कुल मिलाकर, कहानी काफी उम्मीद के मुताबिक खरे उतरता है। किसी को भी जो इस किताब को पढ़ने की योजना बना रहा है, मेरा सुझाव है, पहली छमाही में धैर्य बनाए रखना चाहिए. मैं विश्वास दिलाता हूं कि दूसरा हिस्सा निश्चित रूप से आपकी  आँखों को  पृष्ठों से चिपका के रखेगा, क्योंकि कहानी बहुत ही दिलचस्प है।
  • Recommended Post Slide Out For Blogger