RSS
Facebook
Twitter

Wednesday, April 10, 2013

मेरी कविताएँ ...

मेरी कविताएँ ...

आज मैंने अपनी ज़िन्दगी से कुछ पल निकाल कर मैंने अपनी ज़िन्दगी की कुछ लम्हों को कागज़ पर उतारा है। आशा न थी की कुछ ऐसा लिख जाऊंगा ... तो वो लम्हें ये रहे ... 

हालाँकि पहले वाले लेख कविता नहीं कहा जा सकता है। इसे एक शायरी कहना बेहतर होगा ...


 

कुछ अनसुलझें सवालों को, कुछ झिलमिल सी यादों को, आज समेत चल पड़ा हूँ मैं, एक राह पर, एक नयी उम्मीदों पर, मैं चल पड़ा हूँ आज एक नयी ज़िन्दगी की ओर ....

दूसरी लेख में मैंने कोशिश किया है की मैं शब्द अंत्यानुप्रास करूँ तो ये रहा दूसरा .....


मुझे एक अजनबी से कुछ यूँ हुआ था प्यार, दिन थी रात, सिर्फ था तो बस प्यार का खुमार, था तो सिर्फ प्यार का जज़्बात, बस थी प्यार की बातें, थी तो अनकही मुलाकातें, आज वो है, उसकी बात, सिर्फ बची है तो उसकी याद, मुझे एक अजनबी से कुछ यूँ हुआ था प्यार ...

आपको मेरी लिखी हुई कविता कैसी लगी जरुर टिप्पणी कीजिएगा। शुक्रिया ... :-) 

2 comments:

  • Recommended Post Slide Out For Blogger